तेरी यादों का खिलौना,दिल से लगाये बैठे हैं...
कभी मन को तो,कभी दिल को समझाए बैठे हैं...
ये जो आईना है तेरी तस्वीर दिखाता झूठी मूठी सी...
बंद आँखों में हम,उस अक़्स को समाये बैठे हैं...
एक खिलौना दिल है मेरा ... मन करे तो थोडा खेल लो इस से...
एक खिलौना ये आँखें मेरी ...जो मन करे तुम देख लो इन ने...
एक नुमाइश मेरा इश्क़ है...बड़ी बाज़ार है खिलौनों की इनमें...
दो मुस्कराहट अपनी रखो...जो मन करे तुम खेल लो इन में...
मिन्नतें क़ुबूल हो जाए खिलौनों की..ये आस लगाये बैठे हैं...
तेरी यादों का खिलौना,दिल से लगाये बैठे हैं...
कभी मन को तो,कभी दिल को समझाए बैठे हैं...
शशि'दिल से...
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