Friday, April 13, 2012

मेरी ख़ामोश रातों में तू नहीं

मेरी ख़ामोश रातों में तू नहीं है साथ तो,कुछ गम नहीं,
तकलीफ तो ये है कि ,तेरे बिस्तर के तकिये पे, आंशुओ कि नमी सी है ....
शशि ' दिल से

Friday, April 6, 2012

मेरे नाम को अनसुना सा


कभी बंद आँखों से पढ़ लेते थे, तुम मेरे साये की आवाज को भी..
और आज भरी महफ़िल में, मेरे नाम को, अनसुना सा कर देते हो..
शशि' दिल से ..

इन पन्नो पे

वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...

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