Thursday, July 28, 2011

जन्नत है ऐसा मरने में ...











दिन आज है उनकी शहनाई का ,
पर खामोशी भी बंद है एक घुमनाम से कमरे में ...
उनके डोली के साथी सा जनाज़ा मेरा निकलेगा,
दुल्हन सा उनको देखेंगे .. जन्नत है ऐसा मरने में ...

शशि' दिल से ....

इन पन्नो पे

वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...

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