यूँ तुम आये थे कभी ....
लगता था यह शाम तुमसे है...यह चाँद तुमसे है...पर कितना गलत था मैं...
क्यूंकि शाम का रंग भी वही है...और चाँद भी कुछ वैसा ही शांत है...
पर एक तुम ही नहीं हो...एक अरसे से पर फिर भी लगता है... कि जैसे...
तुम आये थे अभी...
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...
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