Monday, June 13, 2011

यूँ तुम..


यूँ तुम आये थे कभी ....

लगता था यह शाम तुमसे है...यह चाँद तुमसे है...

पर कितना गलत था मैं...

क्यूंकि शाम का रंग भी वही है...और चाँद भी कुछ वैसा ही शांत है...

पर एक तुम ही नहीं हो...एक अरसे से पर फिर भी लगता है... कि जैसे...

तुम आये थे अभी...

No comments:

Post a Comment

इन पन्नो पे

वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...

Popular Posts