यह क्यों है मैं नहीं जानता ,पर बस कुछ ख़ास है इतना पता है ....
ये कविता ख़ास है...क्यूंकि ...
ये दिन कुछ ख़ास है...
ये दिन कुछ ख़ास है ....
जब करीब तेरे एक फूल गुलाब का आ जायेगा ,
दिल हो जायेगा खुश ,और तेरा ख्वाब मुश्कुरायेगा ,
दुआ में दिल से मेरे निकली एक आवाज है ...
कि हाँ ,
ये दिन कुछ ख़ास है ....
अरसे बाद ये दिन एक उम्मीद लेके आया है ,
कुछ पुराने रंग में एक साथ नया भी समाया है ,
कि अब मन्नते भी गुनगुनाती हर पल ये साज़ है ,
कि हाँ ,
ये दिन कुछ ख़ास है ....
कुछ आखिरी दिन के पल हो ; या ता -उम्र कि बात हो ,
खुशिया हो तेरे दामन में ;या उलझे से वो जस्बात हो ,
मैं हूँ ,था ,रहूँगा यही पे ,तुमपे जो हमको नाज़ है ,
कि हाँ ,
ये दिन कुछ ख़ास है ....
कभी ना आये जिंदगी में ग़म तेरे आँचल के करीब भी ,
तू हँसे ,ये दिन आये जो बार बार ,तो हम हो खुश -नसीब भी ,
ये क्यूँ लिखा ,कैसे ,ना पता ,बस दिल में छिपा एक राज़ है ,
कि हाँ ,
ये दिन कुछ ख़ास है ....
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
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