यूँ अकेला मैं ,अनजान सा ,कलम लिए ,तेरे चेहरे की लकीरें हूँ खींचता ,
जब लकीरों ने मेरे हाथ की है दुश्मनी निभाई ,तो कागज से कौन सा रिश्ता ,
शशि ' दिल से.....
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...