बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
Friday, February 5, 2010
आ जाओ करीब ...
आ जाओ करीब ...बदले नसीब ...
कुछ किताबें पूरी नहीं होती .आखरी पन्नो की तलाश हमें हमेशा बैचैन करती रहती है ..कुछ ऐसा ही है मेरा प्यार ,उनके लिए ,जिन्हें पास बुलाने के लिए ये बोल परेशान से ,ख़ामोशी में , जाने क्या क्या कह रहा है ...
आ जाओ करीब ...बदले नसीब ...
तेरी आँखों में , एक कहानी है ,तेरी हर बात कहती है ...तेरी हर बात कहती है ...
तेरे हर पल में ,जो रवानी है ,मेरे वो साथ रहती है ...मेरे वो साथ रहती है ...
आ जाओ करीब ,बदले नसीब ...
इन समंदर पे ,इन हवाओं से ,तेरा ही नाम लिखा है ...तेरा ही नाम लिखा है ...
मेरे एक कल की ,कुछ किताबों पे ,तेरा पैघाम लिखा है ...तेरा पैघाम लिखा है ...
ऐ हमनशीं ...आ जाओ करीब ...
आ जाओ करीब ...बदले नसीब ...
इस सफ़र में तू ,साथ ना हो जो ,गुल वीरान लगता है ...गुल वीरान लगता है ...
हर चेहरे में ,तेरी परछाईं ,जग अनजान लगता है ...जग अनजान लगता है ...
ऐ दिलनशीं ...आ जाओ करीब ...
आ जाओ करीब ...बदले नसीब ...
हुस्न का आशिक ,तेरा हर कोई ,मुझे तेरा दिल प्यारा है ...मुझे तेरा दिल प्यारा है ...
मेरे इस दिल ने ,मेरी चाहत से ,तेरा हर रंग निहारा है ...तेरा हर रंग निहारा है ...
ऐ महजबीं ...आ जाओ करीब ...
आ जाओ करीब ...बदले नसीब ...
SHASHI'DIL SE....
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