होती ना अगर आपसे से मोहब्बत हमको ,तो रंग ना उस दुनिया के हम कहानियो में समेटते ।
ना शायरी से यूँ दोस्ती करते ,न पन्नो पे ख्वाब बिखेरते ।
गर इनकार ना तुम करते उस दिन तो ,न यूँ पैमानों से हम मचलते ,
सहनाई पे तेरी न यूँ गीत गाते ,न ख़ुद ही ख़ुद की शायरी के शब्दों से यूँ खेलते ।
शैलांश ....
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
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Bahut hi sundar shruaat, swagat.
ReplyDeleteगर इनकार ना तुम करते उस दिन तो ,न यूँ पैमानों से हम मचलते ,
ReplyDeleteBahut khuub wah ..wah, sundar likha hai aapnne
kisi ne kaha hai..
Dil lene ki tumko aarju thi
ab jaan se,lo apni gaye ham ..
meri shubhkamnae sweekar karen ..mk
मैं शायर तो नहीं मगर ऐ हसीं तेरी मुहब्बत ने कुछ सिखा दिया ।
ReplyDeleteकुछ इस कदर छाया है तेरा जादू मैंने सबको अपना दिल दिखा दिया।
होती ना अगर आपसे से मोहब्बत हमको ,
ReplyDeleteतो रंग ना उस दुनिया के हम कहानियो में समेटते
Well said.........
narayan narayan
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है ,आपके लेखन के लिए मेरी शुभकामनाएं ...........
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