Wednesday, February 25, 2009

रोशनी की तलाश में ....

रोशनी की तलाश में है दर बदर भटका ये दिल ,

पर छुपा है सुकून ख़ुद उस की ही गहराई में ।

हमसफ़र तो छोड़ गया है रस्ते में ही ,

अब तो भागते है ख़ुद की परछाई से ।

आहत भर से लगता है वोह आयें है,

नूर लेकर जिंदगी भर का ,

पर खुली आँख हंशी ख्वाब से जब ,

देखा रोती थी वोह भी चुपचाप तन्हाई में .

शशि दिल से ...

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