शायरी ख़ुद -ब -ख़ुद बन गई ,
हम तो बस रेत में हाथों को फेरा करते थे ,
ना जाने कैसे तस्वीर तेरी बन गई ,
लोग कहते की जरुर कोई हशीन होगी ,
जो शायरी में यूँ दर्द है ,
वो क्या जाने की वोह इतनी खुबशुरत है की जाने से ,
उनके ये जिंदगी भी थम गई .
बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
वो कहते हैं कि कैसे लिख लेते हो तुम बातें दिल की इन पन्नो पे.... मैं कह देता हूँ कि बस जी लेता हूं मैं बातें दिल की इन पन्...
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