Friday, January 16, 2009

किसी दिन ...

पास आके मेरे ,अपनी बाहों में मुझको सजाओ ,किसी दिन .
सासों में मेरी हो बसी तुम ,अपनी आखों में मुझको बसो ,किसी दिन .
दूर रह कर भी कितने पास हो तुम ,आईने से निकल सामने तो आओ ,किसी दिन .
खुशबु छिपी मेरे प्यार के बागों में ,उस महक में नहाओ ,किसी दिन .
हमारा दिल हर पल है नाम तेरा लेता ,आपका दिल है क्या कहता बतलाओ ,किसी दिन .
तेरी तस्वीर है मेरी जिंदगी बन बैठी ,शर्म का आइना सामने से हटाओ ,किसी दिन.
है खुबसूरत जिनके अल्फाज़ इतने ,उन होठों हमको छू जाओ ,किसी दिन .
मैं शायर किस कामका आपके बिन ,प्यार से अपने एक शायरी लिख जाओ ,किसी दिन ........
आ जाओ किसी दिन ...

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