मत दूर जाना यह साँसे सूख जायेगी ,
बाती प्रेम की एक जला दो मेरे घर में तुम ,
मेरी जिंदगी भी एक रंग में सिमट जायेगी ,
माना चाहने वालों का तुम्हे इरफात है पड़ा ज़माने से ,
पर मेरी ग़ज़ल कुछ और ही रंग दिखायेगी ,
फिरक़त -ऐ -इश्क में जो लिखी थी पाक शायरी ,
वोह दर्द इस दिल का ख़ुद में ही रोके सुनाएगी .
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