बड़े बदनाम है हम हो गए तेरे नाम को किताब पे उतार कर , और तुम हो कि आज भी मुह फेर के बैठे हो ,
Sunday, January 18, 2009
लागा चुनरी में दाग ...
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....
मैं बांवरी तेरी ,तेरे प्यार में,
झूमी बांगो में दिल हार के,
कोई फूल था महका बांगो में,
बची खुशबु को मिटाऊँ कैसे,
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....
तू पागल मुझे कर गया जालिम,
इश्क में तेरे हार गया दिल,
हट गई चादर की वोह सिलवट ,
दिल की सिलवट हटाऊँ कैसे
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....
थे पैमाने कुछ कुछ छलके,
दिए घाव दिलो ने हलके,
भर गए जख्म जिगर के ऊपर,
जख्म जिगर के दिखाऊँ कैसे,
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....
बीता बचपन याद है आये,
बोले बाबुल बहुत सताये,
मेरा साजन मुझको दे गया धोका,
अब बाबुल घर जाऊं कैसे,
लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे.....
Friday, January 16, 2009
हुई दस्तक इस दिल में...
जब आपका पैगाम आया ,
कितनी शामों से था इंतजार जिसका ,
वो दिलनशी आज शाम आया .
मरहबा सी खुशबु में ,
लिखा था नाम हमारी जुदाई का ,
खता हमने की मोहब्बत की ,उसने बेरुखी की ,
फिर भी हमपे बेवफाई का इल्जाम आया .
यूँ सुबह...
जैसे मीठी इस भोर में कोहरा हो छा रहा ,
कितना हसीं है ये मंजर ,है चाँद जो छुप रहा ,
जाते जाते यह चाँद याद तेरी दिला रहा .
आई गई खुशी..
अजब खेल भी इश्क खिलाता है .
कि हम जाते आईने में ख़ुद को खोजते ,
कोई और हमे मिल जाता है .
जाने तू या जाने ना ...
माने तू या माने ना ...
है मेरी जिंदगी की डोर तू ,
शालीन शब् की भोर तू ,
है मेरे दिल में रहती तू ,जाने तू या जाने ना ...
प्यार बहुत करते है तुमसे ,माने तू या माने ना ...
एक मुस्कुराहट ने तेरी ,
है बदल दी शख्शियत मेरी ,
तकदीर ने जोड़ा है तुझको मुझसे ,जाने तू या जाने ना ...
हर लकीरों में है चेहरा तेरा ,माने तू या माने ना ...
करीब है तू या दूर है ,
इस जमाने से मजबूर है ,
तेरी पायलों की छम छम से हूँ जीता ,जाने तू या जाने ना ...
जुदाई में गिरे नम में हूँ जीता ,माने तू या माने ना ...
अदा बन गई....
जो शर्मा के मुश्कुराए आप .
कलमा हो जैसे फ़रिश्ते पढ़ने लगे ,
महफ़िल में जबसे आए आप .
है मुक़द्दर मेरा लिख गया....
लकीरों से है तेरा चेहरा बना ,है गुमशुदा हम ख़ुद की पहचान से .
असर कुछ इस कदर है हम पर तेरी खूबसूरती का कि,
भरी महफ़िल में लोग कहते है शायरी पढ़ रहा हूँ ,पर लब्ज़ निकलते है बस तेरे ही नाम से .जो तकदीर में लिखा...
वो भी उस पल हमारे थे ,कहते थे हर पल तुम्हारे रहेंगे .
पर उन्हें इस गरीब से था बस खेल खेलना ,जुदाई के अश्क तो केवल यहीं बहेंगे .
अब तो मानते है कि ,जो तकदीर में लिखा है उसी से प्यार कर लेंगे .
नजर तेरे एक...
एक तुम हो जो ज़माने से डरते हो .
खुदा की कलम से लिखा प्यार अपना ,
बेवजह ही यूँ तुम वक्त की राह तकते हो .
फिर भी हमे है इस इश्क पे ,
ऐएत्बार इतना की जरूर हम ,
पा लेंगे तुम्हे ,चाहे जमीं पे ,
या चाहे आसमा में रहते हो ।
नाकाम साँसे मेरी ...
की बन गई है आईना यह आँखें तेरी .
समझना मुझको है तो बस अपने दिल से पूछो,
जिस के दम से है यह नाकाम साँसे मेरी .
इंतजार मोहब्बत का...
एक तू है जो किसी और के ख्यालों में खोयी है
गर दर्द जानना है जुदाई का तो इन आंखों से पूछो,
जो तेरी याद में बिन हिसाब के रोई है
मुलाक़ात क्या ,दो बातें क्या ,
ये तो बस एक दीदार की आशिक है
एक पल में सौ बातें ये कह दे ,
सालों के गम में रो रो के जो पिरोई है .
अजब कहानी...
यह तो बस तेरे इश्क की मेहरबानी है ,
हम तो बस कलम लेके बैठे थे ,
दिल ने कह दी एक अजब कहानी है.
लिखा जो तेरा नाम..
शायरी ख़ुद -ब -ख़ुद बन गई ,
हम तो बस रेत में हाथों को फेरा करते थे ,
ना जाने कैसे तस्वीर तेरी बन गई ,
लोग कहते की जरुर कोई हशीन होगी ,
जो शायरी में यूँ दर्द है ,
वो क्या जाने की वोह इतनी खुबशुरत है की जाने से ,
उनके ये जिंदगी भी थम गई .
फिरकत -ऐ -इश्क
मत दूर जाना यह साँसे सूख जायेगी ,
बाती प्रेम की एक जला दो मेरे घर में तुम ,
मेरी जिंदगी भी एक रंग में सिमट जायेगी ,
माना चाहने वालों का तुम्हे इरफात है पड़ा ज़माने से ,
पर मेरी ग़ज़ल कुछ और ही रंग दिखायेगी ,
फिरक़त -ऐ -इश्क में जो लिखी थी पाक शायरी ,
वोह दर्द इस दिल का ख़ुद में ही रोके सुनाएगी .
कल यूँ ही...
तुम चले गए तो लगा चाँद जैसे हो छुप गया ।
मंजूर न था बिन आपके उन अजनबी के साथ होना ,
पर आके लौट आने से आपके ,जो पल था चला ,वो भी वही पे रुक गया .
करे इबादत हम किस से तेरी ....
जो उठे पलक तो नूर बरसे .
जो देख लो मुस्कुरा के एक बार तुम ,
तो तकदीर भी गुजरे इधर से .
हो भले चाह आपकी खुशबु की कितनी हमको ,
आप तो ना निकलो अपने घर से .
करे इबादत हम किस से तेरी ,
इस हुस्न को तो है हर कोई तरसे .
टूटे शीशों में...
एक तुम थे जो तोफहे को तोड़ गए.
हम तो एक तस्वीर के आशिक थे ,
शीशों में तुम हजारों छोड़ गए .
अदा हो जाते हो ख़त....
जब से दूर हो तुम गए ,
हर एक आहत पे लगे तुम आए ,
हर एक नूर में तुम दिखे ,
हँसी हो जाता समां ,
गर आंसूं की दुआ कुबूल हो जाती ,
और अदा हो जाते हो ख़त सारे ,
जो नाम हमने तेरे लिखे .
it's very darK
its very dark...
Its very dark,i can not see my own shadow.my mind is traveling with speed of light,but i feel its still very slow.friends,family and neighbor,what are they ? they all r enemy,they are taking u away.
Feel yourself,ask yourself, before u go to sleep.there is a God inside u,try to find Him,by going very deep.
I am not a successful person,i m having a bad luck,this is not made for me,i am not going more for this fuck.
these two lines are two answers for a same,its not about win or loss,its about playing the game.
किसी दिन ...
सासों में मेरी हो बसी तुम ,अपनी आखों में मुझको बसो ,किसी दिन .
दूर रह कर भी कितने पास हो तुम ,आईने से निकल सामने तो आओ ,किसी दिन .
खुशबु छिपी मेरे प्यार के बागों में ,उस महक में नहाओ ,किसी दिन .
हमारा दिल हर पल है नाम तेरा लेता ,आपका दिल है क्या कहता बतलाओ ,किसी दिन .
तेरी तस्वीर है मेरी जिंदगी बन बैठी ,शर्म का आइना सामने से हटाओ ,किसी दिन.
है खुबसूरत जिनके अल्फाज़ इतने ,उन होठों हमको छू जाओ ,किसी दिन .
मैं शायर किस कामका आपके बिन ,प्यार से अपने एक शायरी लिख जाओ ,किसी दिन ........
आ जाओ किसी दिन ...
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